12 Sept 2016

Shivaay

ना आदि ना अंत है उसका! वो सबका ना इनका उनका! वही शुन्य है वही इकाई जिसके भीतर बसा शिवाय!

आँख मूंदकर देख रहा है साथ समय के खेल रहा है महादेव महाएकाकी जिसके लिए जगत है झांकी! वही शुन्य है वही इकाई जिसके भीतर बसा शिवाय!

राम भी उसका, रावण उसका! जीवन उसका मरण भी उसका! तांडव है और ध्यान भी वो है अग्यानी का ज्ञान भी वो है!

इसको काँटा लगे ना कंकर रण में रूद्र घरों में शंकर! अंत यही सारे भिघ्नाओ का! इस भोले का वार भयंकर!

वही शुन्य है वही इकाई जिसके भीतर बसा शिवाय!

No comments:

Post a Comment